गर बड़े मर्द हो तो ग़ैर को याँ जा दीजे
ग़म-ए-जिगर-शिकन ओ दर्द जाँ-सिताँ देखा
गर कहीं उस को जल्वा-गर देखा
गर इसी तरह सज बनाइएगा
गर एक रात गुज़र याँ वो रश्क-ए-माह करे
गया है जब से दिखा जल्वा वो परी-रुख़्सार