जो नख़्ल हो ख़ुश्क उस का फलना क्या है
दुनिया ही नहीं तो कार-ए-दुनिया क्या है
पैदा हुआ गर कोई तो नापैद कोई
होता दिन रात ये तमाशा क्या है
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Gulzar
Jaun Eliya
Habib Jalib
Anwar Masood
Rahat Indori
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ज़ोरों पे है रोज़ ना-तवानी मेरी
मैं ख़ाक था आदमी बनाया तू ने
है उन की नज़ाकतों का पाना मुश्किल क्या कीजे बयाँ
चलने का तो हो गया बहाना तुम को
रहबान का क़ैस का महबूब है तू
जो है सो पस्त सब से आली तू है