Rubaais of Meer Anees (page 2)
नाम | मीर अनीस |
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अंग्रेज़ी नाम | Meer Anees |
जन्म की तारीख | 1803 |
मौत की तिथि | 1874 |
जन्म स्थान | Lucknow |
गुलशन में सबा को जुस्तुजू तेरी है
गुलशन में फिरूँ कि सैर-ए-सहरा देखूँ
ग़फ़लत में न खो उम्र कि पछताएगा
फ़ुर्सत कोई साअत न ज़माने से मिली
दुश्मन को भी दे ख़ुदा न औलाद का दाग़
दुनिया भी अजब सरा-ए-फ़ानी देखी
दुख में हर शब कराहता हूँ या-रब
दिल ने ग़म-ए-बे-हिसाब क्या क्या देखा
दामाद-ए-रसूल की शहादत है आज
बिस्त-ओ-यकुम-ए-माह-ए-मोहर्रम है आज
बे-जा नहीं मद्ह-ए-शह में ग़र्रा मेरा
बे-गोर-ओ-कफ़न बाप का लाशा देखा
बे-दीनों को मुर्तज़ा ने ईमाँ बख़्शा
बरहम है जहाँ अजब तलातुम है आज
बालों पे ग़ुबार-ए-शेब ज़ाहिर है अब
बादल आ के रो गए हाए ग़ज़ब
अश्कों में नहाओ तो जिगर ठंडे हों
असहाब ने पूछा जो नबी को देखा
अंजाम पे अपने आह-ओ-ज़ारी कर तू
अंदाज़-ए-सुख़न तुम जो हमारे समझो
अल्लाह अल्लाह इज़्ज़-ओ-जाह-ए-ज़ाकिर
अख़्तर से भी आबरू में बेहतर है ये अश्क
अकबर ने जो घर मौत का आबाद किया
ऐ शाह के ग़म में जान खोने वालो
ऐ मोमिनो फ़ातिमा का प्यारा शब्बीर
ऐ ख़ालिक़-ए-ज़ुल-फ़ज़्ल-ओ-करम रहमत कर
ऐ बख़्त-ए-रसा सू-ए-नजफ़ राही कर
अहबाब से उम्मीद है बे-जा मुझ को
अफ़्ज़ूँ हैं बयाँ से मोजिज़ात-ए-हैदर
अफ़ज़ल कोई मुर्तज़ा से हिम्मत में नहीं