शौक़-ओ-अरमाँ की बे-क़रारी को
जिस नज़र से सुकून होता है
बाज़ औक़ात उस नज़र से ही
आरज़ूओं का ख़ून होता है
Habib Jalib
Javed Akhtar
Wasi Shah
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Gulzar
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(717) Peoples Rate This
अपनी फ़ितरत पे नाज़ है मुझ को
और कुछ दैर अभी ठहर जाओ
जब कभी आलम-ए-तसव्वुर में
वो अँधेरे जो मुंजमिद से थे
रंग-अफ़्शाँ हो जिस तरह उमीद
ना-मुरादी के तुंद तूफ़ाँ में
दिल पे लगते हैं सैकड़ों नश्तर
एक मुद्दत सितम उठाने पर
फिर किसी बात का ख़याल आया
दिल में न जाने कितनी उमीदें लिए हुए
शम्-ए-ज़र्रीं की नर्म लौ ऐ दोस्त