फिर किसी बात का ख़याल आया
इक हसीं रात का ख़याल आया
जिस ने सरशार कर दिया दिल को
उस मुलाक़ात का ख़याल आया
Allama Iqbal
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Gulzar
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Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
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मुस्कुराया है यूँ तिरा चेहरा
ज़िंदगी इस तरह भटकती है
वो अँधेरे जो मुंजमिद से थे
पर-फ़िशाँ है थका थका सा ख़याल
शम्-ए-ज़र्रीं की नर्म लौ ऐ दोस्त
है कुछ ऐसी ही बरहमी ऐ दिल
अपनी फ़ितरत पे नाज़ है मुझ को
जब कभी आलम-ए-तसव्वुर में
हाए ये सादगी ओ पुरकारी
चेहरा-ए-आफ़ाक़ को देती है नूर
और कुछ दैर अभी ठहर जाओ
दिन ये बदलेगा रात बदलेगी