पर-फ़िशाँ है थका थका सा ख़याल
बे-कराँ वुसअतों के घेरे में
जैसे इक फ़ाख़्ता हो गर्म-ए-सफ़र
शाम के मल्गजे अँधेरे में
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Rahat Indori
Jaun Eliya
Gulzar
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Allama Iqbal
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और कुछ दैर अभी ठहर जाओ
ज़िंदगी इस तरह भटकती है
तेरी फ़ितरत सुकूँ-पसंदी है
मुस्कुराया है यूँ तिरा चेहरा
दिल में न जाने कितनी उमीदें लिए हुए
ना-मुरादी के तुंद तूफ़ाँ में
हाए ये सादगी ओ पुरकारी
शम्-ए-ज़र्रीं की नर्म लौ ऐ दोस्त
है कुछ ऐसी ही बरहमी ऐ दिल
शौक़-ओ-अरमाँ की बे-क़रारी को
फिर किसी बात का ख़याल आया
हाल-ए-दिल तुम से आज कहता हूँ