हाए ये सादगी ओ पुरकारी
रोज़ इक वारदात होती है
जो बयाँ होती है निगाहों से
कितनी प्यारी वो बात होती है
Javed Akhtar
Anwar Masood
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Gulzar
Wasi Shah
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1152) Peoples Rate This
शम्-ए-ज़र्रीं की नर्म लौ ऐ दोस्त
दिल पे लगते हैं सैकड़ों नश्तर
और कुछ दैर अभी ठहर जाओ
एक मुद्दत सितम उठाने पर
पर-फ़िशाँ है थका थका सा ख़याल
हाल-ए-दिल तुम से आज कहता हूँ
मुस्कुराया है यूँ तिरा चेहरा
तेरी फ़ितरत सुकूँ-पसंदी है
ना-मुरादी के तुंद तूफ़ाँ में
शौक़-ओ-अरमाँ की बे-क़रारी को
अपनी फ़ितरत पे नाज़ है मुझ को
ये चमेली की अध-खिली कलियाँ