मुस्कुराया है यूँ तिरा चेहरा
है कुछ ऐसी ही बरहमी ऐ दिल
तेरी फ़ितरत सुकूँ-पसंदी है
एक मुद्दत सितम उठाने पर
रंग-अफ़्शाँ हो जिस तरह उमीद
ज़िंदगी इस तरह भटकती है
चेहरा-ए-आफ़ाक़ को देती है नूर
पर-फ़िशाँ है थका थका सा ख़याल
दिन ये बदलेगा रात बदलेगी
वो अँधेरे जो मुंजमिद से थे
ये चमेली की अध-खिली कलियाँ
जब कभी आलम-ए-तसव्वुर में