ये चमेली की अध-खिली कलियाँ
दिन ये बदलेगा रात बदलेगी
जब कभी आलम-ए-तसव्वुर में
ना-मुरादी के तुंद तूफ़ाँ में
फिर किसी बात का ख़याल आया
दिल पे लगते हैं सैकड़ों नश्तर
मुस्कुराया है यूँ तिरा चेहरा
ज़िंदगी इस तरह भटकती है
शौक़-ओ-अरमाँ की बे-क़रारी को
है कुछ ऐसी ही बरहमी ऐ दिल
दिल में न जाने कितनी उमीदें लिए हुए
शम्-ए-ज़र्रीं की नर्म लौ ऐ दोस्त