दिल पे लगते हैं सैकड़ों नश्तर
हाए ये सादगी ओ पुरकारी
एक मुद्दत सितम उठाने पर
पर-फ़िशाँ है थका थका सा ख़याल
और कुछ दैर अभी ठहर जाओ
है कुछ ऐसी ही बरहमी ऐ दिल
मुस्कुराया है यूँ तिरा चेहरा
जब कभी आलम-ए-तसव्वुर में
तेरी फ़ितरत सुकूँ-पसंदी है
ये चमेली की अध-खिली कलियाँ
चेहरा-ए-आफ़ाक़ को देती है नूर
फिर किसी बात का ख़याल आया