कुत्ते और ख़रगोश
दो ख़रगोश थे प्यारे प्यारे
इक मोती इक हीरा
मोती काले कानों वाला
हीरा भूरा भूरा
दो कुत्तों ने देखा उन को
चैन से यूँ जो बैठा
मुँह में एक के पानी आया
दूसरा फ़ौरन लपका
चैन से कोने में बैठे थे
सोचते थे कि जाएँ
सामने के खेतों से दो इक
गाजरें तोड़ के लाएँ
भागे सरपट देख के कुत्ते
दोनों ही ख़रगोश
मौत नज़र आती थी उन को
और न था कुछ होश
भागते भागते हीरा बोला
ये कुत्ते हैं शिकारी
मोती बोला तुम पागल हो
अक़्ल ख़राब तुम्हारी
हीरे को ग़ुस्सा फिर आया
फुला के दुम वो बोला
तुम ने मुझ को क्या समझा है
कर दूँ तुम को सीधा
इधर वो आपस में लड़ते थे
उधर वो कुत्ते पहुँचे
दोनों ख़रगोशों की जानिब
दोनों कुत्ते लपके
ख़रगोशों ने बहस में पड़ के
हाए जान गँवाई
सच है ब'अद में पछताने से
किस ने इज़्ज़त पाई
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