'दर्द' के मिलने से ऐ यार बुरा क्यूँ माना
'दर्द' के मिलने से ऐ यार बुरा क्यूँ माना
उस को कुछ और सिवा दीद के मंज़ूर न था
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'दर्द' के मिलने से ऐ यार बुरा क्यूँ माना
उस को कुछ और सिवा दीद के मंज़ूर न था
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