गुलों का, नग़्मों का, ख़्वाबों का चाँदनी का सलाम
खुली फ़ज़ाओं का, ख़ुशबू का रौशनी का सलाम
गली गली का ये जोगी, नगर नगर का फ़क़ीर
तुम्हारे शहर में लाया है ज़िंदगी का सलाम
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
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Jaun Eliya
Anwar Masood
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तुम्हारी याद के उजड़े हुए, उदास चमन
तुम घटाओं का एहतिमाम करो
हम फ़क़ीरों की बात क्यूँ पूछो
मिरी गली में ये आहट थी किस के क़दमों की
आसमाँ की बुलंदियों से नदीम
काविश-ए-सुब्ह-ओ-शाम बाक़ी है
तुम गुनाहों से डर के जीते हो
ज़िंदगी की हसीन शहज़ादी
आरज़ू के दिए जलाने से
दर्द का जाम ले के जीते हैं
दिल-जलों को सताने आए हैं