कश्मीरी लाल ज़ाकिर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का कश्मीरी लाल ज़ाकिर

कश्मीरी लाल ज़ाकिर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का कश्मीरी लाल ज़ाकिर
नामकश्मीरी लाल ज़ाकिर
अंग्रेज़ी नामKashmiri Lal Zakir
जन्म की तारीख1919
मौत की तिथि2016

ज़िंदगी की हसीन शहज़ादी

तुम्हारी याद के उजड़े हुए, उदास चमन

तुम गुनाहों से डर के जीते हो

तुम घटाओं का एहतिमाम करो

तू मिरे साथ अब नहीं है दोस्त

सख़्त-जाँ भी हैं और नाज़ुक भी

न तेरे दर्द के तारे ही अब सुलगते हैं

मिरी जवानी बहारों में भी उदास रही

मिरी गली में ये आहट थी किस के क़दमों की

काविश-ए-सुब्ह-ओ-शाम बाक़ी है

इतनी तल्ख़ फ़ज़ा में भी हम ज़िंदा हैं

हम फ़क़ीरों की बात क्यूँ पूछो

गुलों का, नग़्मों का, ख़्वाबों का चाँदनी का सलाम

दिल-जलों को सताने आए हैं

दर्द का जाम ले के जीते हैं

बड़ी शफ़ीक़, बड़ी ग़म-शनास लगती हैं

ऐ ग़म-ए-दोस्त, हम ने तेरे लिए

आसमाँ की बुलंदियों से नदीम

आरज़ू के दिए जलाने से

आ कि बज़्म-ए-तरब सजा लें हम

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