ये तो बढ़ती ही चली जाती है मीआद-ए-सितम
ये तो बढ़ती ही चली जाती है मीआद-ए-सितम
जुज़ हरीफ़ान-ए-सितम किस को पुकारा जाए
वक़्त ने एक ही नुक्ता तो किया है तालीम
हाकिम-ए-वक़त को मसनद से उतारा जाए
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ये तो बढ़ती ही चली जाती है मीआद-ए-सितम
जुज़ हरीफ़ान-ए-सितम किस को पुकारा जाए
वक़्त ने एक ही नुक्ता तो किया है तालीम
हाकिम-ए-वक़त को मसनद से उतारा जाए
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