यूँ उस के हसीन आरिज़ों पर
यूँ उस के हसीन आरिज़ों पर
पलकों के लचक रहे हैं साए
छिटकी हुई चाँदनी में 'अख़्तर'
जैसे कोई आड़ में बुलाए
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यूँ उस के हसीन आरिज़ों पर
पलकों के लचक रहे हैं साए
छिटकी हुई चाँदनी में 'अख़्तर'
जैसे कोई आड़ में बुलाए
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