यूँ दिल की फ़ज़ा में खेलते हैं
रह रह के उमीद के उजाले
छुप छुप के कोई शरीर लड़की
आईने का अक्स जैसे डाले
Rahat Indori
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यूँ नदी में ग़ुरूब के हंगाम
तितली कोई बे-तरह भटक कर
कर चुकी है मिरी मोहब्बत क्या
मैं ने माना तिरी मोहब्बत में
तेरे माथे पे ये नुमूद-ए-शफ़क़
दोस्त! तुझ से अगर ख़फ़ा हूँ तो क्या
किस को मालूम था कि अहद-ए-वफ़ा
कितनी मासूम हैं तिरी आँखें
यूँ ही बदला हुआ सा इक अंदाज़
हुस्न का इत्र जिस्म का संदल
अंगड़ाई ये किस ने ली अदा से