एक कमसिन हसीन लड़की का
इस तरह फ़िक्र से है मुखड़ा माँद
जैसे धुँदली कोहर चमेली पर
जैसे हल्की घटा के अंदर चाँद
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Habib Jalib
Anwar Masood
Allama Iqbal
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1095) Peoples Rate This
रात जब भीग के लहराती है
हुस्न का इत्र जिस्म का संदल
आ कि इन बद-गुमानियों की क़सम
एक कम-सिन हसीन लड़की का
सर्फ़-ए-तस्कीं है दस्त-ए-नाज़ तिरा
अंगड़ाई ये किस ने ली अदा से
इक नई नज़्म कह रहा हूँ मैं
इस हसीं जाम में हैं ग़ल्तीदा
यूँ नदी में ग़ुरूब के हंगाम
दोस्त! तुझ से अगर ख़फ़ा हूँ तो क्या
यूँ उस के हसीन आरिज़ों पर
आज मुद्दत के ब'अद होंटों पर