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Jaan Nisar Akhtar Poetry In Hindi - Best Jaan Nisar Akhtar Shayari, Sad Ghazals, Love Nazams, Romantic Poetry In Hindi - Darsaal

जाँ निसार अख़्तर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का जाँ निसार अख़्तर

जाँ निसार अख़्तर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का जाँ निसार अख़्तर
नामजाँ निसार अख़्तर
अंग्रेज़ी नामJaan Nisar Akhtar
जन्म की तारीख1914
मौत की तिथि1976

यूँ उस के हसीन आरिज़ों पर

यूँ नदी में ग़ुरूब के हंगाम

यूँ ही बदला हुआ सा इक अंदाज़

यूँ दिल की फ़ज़ा में खेलते हैं

याद-ए-माज़ी में यूँ ख़याल तिरा

उफ़ ये उम्मीद-ओ-बीम का आलम

तितली कोई बे-तरह भटक कर

तेरे माथे पे ये नुमूद-ए-शफ़क़

सर्फ़-ए-तस्कीं है दस्त-ए-नाज़ तिरा

रात जब भीग के लहराती है

ना-मुरादी के ब'अद बे-तलबी

मैं ने माना तिरी मोहब्बत में

कितनी मासूम हैं तिरी आँखें

किस को मालूम था कि अहद-ए-वफ़ा

कर चुकी है मिरी मोहब्बत क्या

इस हसीं जाम में हैं ग़ल्तीदा

हुस्न का इत्र जिस्म का संदल

हाए ये तेरे हिज्र का आलम

इक ज़रा रसमसा के सोते में

इक नई नज़्म कह रहा हूँ मैं

एक कम-सिन हसीन लड़की का

दूर वादी में ये नदी 'अख़्तर'

दोस्त! तुझ से अगर ख़फ़ा हूँ तो क्या

दोस्त! क्या हुस्न के मुक़ाबिल में

चंद लम्हों को तेरे आने से

अपने आईना-ए-तमन्ना में

अंगड़ाई ये किस ने ली अदा से

अब्र में छुप गया है आधा चाँद

आज मुद्दत के ब'अद होंटों पर

आ कि इन बद-गुमानियों की क़सम

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