गर्मी का मौसम
ये मसअला-ए-दक़ीक़ सुनिए हम से
नसीहत
बरसात
काठ की हंडिया चढ़ी कब बार बार
गर जौर-ओ-जफ़ा करे तो इनआ'म समझ
काफ़िर को है बंदगी बुतों की ग़म-ख़्वार
फ़ितरत के मुताबिक़ अगर इंसाँ ले काम
कहते हैं सभी मुसदाम अल्लाह अल्लाह
क़ल्लाश है क़ौम तो पढ़ेगी क्यूँकर
एक पौदा और घास
हमारी गाय