Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_a178c873c0bff0af49bc25f70108ffcd, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
चुप है आग़ाज़ में, फिर शोर-ए-अजल पड़ता है - इरफ़ान सत्तार कविता - Darsaal

चुप है आग़ाज़ में, फिर शोर-ए-अजल पड़ता है

चुप है आग़ाज़ में, फिर शोर-ए-अजल पड़ता है

और कहीं बीच में इम्कान का पल पड़ता है

एक वहशत है कि होती है अचानक तारी

एक ग़म है कि यकायक ही उबल पड़ता है

याद का फूल महकते ही नवाह-ए-शब में

कोई ख़ुशबू से मुलाक़ात को चल पड़ता है

हुजरा-ए-ज़ात में सन्नाटा ही ऐसा है कि दिल

ध्यान में गूँजती आहट पे उछल पड़ता है

रोक लेता है अबद वक़्त के उस पार की राह

दूसरी सम्त से जाऊँ तो अज़ल पड़ता है

साअतों की यही तकरार है जारी हर-दम

मेरी दुनिया में कोई आज, न कल पड़ता है

ताब-ए-यक-लहज़ा कहाँ हुस्न-ए-जुनूँ-ख़ेज़ के पेश

साँस लेने से तवज्जोह में ख़लल पड़ता है

मुझ में फैली हुई तारीकी से घबरा के कोई

रौशनी देख के मुझ में से निकल पड़ता है

जब भी लगता है सुख़न की न कोई लौ है न रौ

दफ़अतन हर्फ़ कोई ख़ूँ में मचल पड़ता है

ग़म छुपाए नहीं छुपता है करूँ क्या 'इरफ़ान'

नाम लूँ उस का तो आवाज़ में बल पड़ता है

(1070) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Chup Hai Aaghaz Mein, Phir Shor-e-ajal PaDta Hai In Hindi By Famous Poet Irfan Sattar. Chup Hai Aaghaz Mein, Phir Shor-e-ajal PaDta Hai is written by Irfan Sattar. Complete Poem Chup Hai Aaghaz Mein, Phir Shor-e-ajal PaDta Hai in Hindi by Irfan Sattar. Download free Chup Hai Aaghaz Mein, Phir Shor-e-ajal PaDta Hai Poem for Youth in PDF. Chup Hai Aaghaz Mein, Phir Shor-e-ajal PaDta Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Chup Hai Aaghaz Mein, Phir Shor-e-ajal PaDta Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.