अब आ भी जाओ, बहुत दिन हुए मिले हुए भी

अब आ भी जाओ, बहुत दिन हुए मिले हुए भी

भुला ही देंगे अगर दिल में कुछ गिले हुए भी

हमारी राह अलग है, हमारे ख़्वाब जुदा

हम उन के साथ न होंगे, जो क़ाफ़िले हुए भी

हुजूम-ए-शहर-ए-ख़िरद में भी हम से अहल-ए-जुनूँ

अलग दिखेंगे, गरेबाँ जो हों सिले हुए भी

हमें न याद दिलाओ हमारे ख़्वाब-ए-सुख़न

कि एक उम्र हुए होंट तक हिले हुए भी

नज़र की, और मनाज़िर की बात अपनी जगह

हमारे दिल के कहाँ अब, जो सिलसिले हुए भी

यहाँ है चाक-ए-क़फ़स से उधर इक और क़फ़स

सो हम को क्या, जो चमन में हों गुल खुले हुए भी

हमें तो अपने उसूलों की जंग जीतनी है

किसे ग़रज़, जो कोई फ़तह के सिले हुए भी

(1404) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ab Aa Bhi Jao, Bahut Din Hue Mile Hue Bhi In Hindi By Famous Poet Irfan Sattar. Ab Aa Bhi Jao, Bahut Din Hue Mile Hue Bhi is written by Irfan Sattar. Complete Poem Ab Aa Bhi Jao, Bahut Din Hue Mile Hue Bhi in Hindi by Irfan Sattar. Download free Ab Aa Bhi Jao, Bahut Din Hue Mile Hue Bhi Poem for Youth in PDF. Ab Aa Bhi Jao, Bahut Din Hue Mile Hue Bhi is a Poem on Inspiration for young students. Share Ab Aa Bhi Jao, Bahut Din Hue Mile Hue Bhi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.