Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_6c3c9a8424f20d6c2f64b81ed8af9517, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
होश जिस वक़्त भी आएगा गिरफ़्तारों को - इरफ़ान परभनवी कविता - Darsaal

होश जिस वक़्त भी आएगा गिरफ़्तारों को

होश जिस वक़्त भी आएगा गिरफ़्तारों को

ख़स की मानिंद उड़ा डालेंगे दीवारों को

ज़िंदगी करनी है तुम को तो तड़पना सीखो

ज़ंग लग जाता है रक्खी हुई तलवारों को

ज़ख़्म सीने पे किसी के नहीं आया अब तक

आज़माया है बहुत क़ौम के सरदारोँ को

इतने ऊँचे भी न उट्ठो कि सँभल भी न सको

हम ने गिरते हुए देखा कई मीनारों को

बुज़दिली है कि ये नादानी है आख़िर क्या है

लोग अश्कों से बुझाने लगे अँगारों को

वही रिश्वत वही इग़वा वही ख़बरें 'इरफ़ाँ'

हम तो बिन देखे ही पढ़ लेते हैं अख़बारों को

(1206) Peoples Rate This

Related Poetry

Your Thoughts and Comments

Hosh Jis Waqt Bhi Aaega Giraftaron Ko In Hindi By Famous Poet Irfan Parbhanvi. Hosh Jis Waqt Bhi Aaega Giraftaron Ko is written by Irfan Parbhanvi. Complete Poem Hosh Jis Waqt Bhi Aaega Giraftaron Ko in Hindi by Irfan Parbhanvi. Download free Hosh Jis Waqt Bhi Aaega Giraftaron Ko Poem for Youth in PDF. Hosh Jis Waqt Bhi Aaega Giraftaron Ko is a Poem on Inspiration for young students. Share Hosh Jis Waqt Bhi Aaega Giraftaron Ko with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.