ओस से भरा गिलास

वो फल है रस-भरा

या फल की रस-भरी असास है

है सब के सामने

या ऐन दरमियान पेड़ के

छुपा हुआ है बीज की तरह

लबों को खोलती हुई

वो आम गुफ़्तुगू है

या लबों को सील करता

इक मुआमला-ए-ख़ास है

मिरी तरह वो शाद-काम है

या ख़ानदान वालों की तरह उदास है

वो आ गया तो हो गई है जामुनी फ़ज़ा

या और है कोई

कि जिस का जामुनी लिबास है

है बाग़ की रविश

या मेन-गेट के क़रीब

लहलहाती घास है

वो ओस है

या ओस से भरा पड़ा गिलास है!!

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