Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_241c59736723038a357a10c2cd429f33, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ख़ुश्क उस की ज़ात का सातों समुंदर हो गया - इक़बाल साजिद कविता - Darsaal

ख़ुश्क उस की ज़ात का सातों समुंदर हो गया

ख़ुश्क उस की ज़ात का सातों समुंदर हो गया

धूप कुछ ऐसी पड़ी वो शख़्स बंजर हो गया

आँगन आँगन ज़हर बरसाएगी उस की चाँदनी

वो अगर महताब की सूरत उजागर हो गया

मेरे आधे जिस्म की उस को लगेगी बद-दुआ

कल ख़बर आ जाएगी वो शख़्स पत्थर हो गया

किस ने अपने हाथ से ख़ुद मौत का कतबा लिखा

कौन अपनी क़ब्र पर इबरत का पत्थर हो गया

क़ुर्ब जब हद से बढ़ा दूरी मुक़द्दर हो गई

उस का मिलना भी न मिलने के बराबर हो गया

मैं कि बाहर की फ़ज़ा में क़ैद था जिस के सबब

आज वो ख़ुद जिंस के पिंजरे के अंदर हो गया

मुफ़्त में तक़्सीम की 'साजिद' मता-ए-शायरी

जिस ने अपना क़ुर्ब अपनाया वो शायर हो गया

(1095) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

KHushk Uski Zat Ka Saton Samundar Ho Gaya In Hindi By Famous Poet Iqbal Sajid. KHushk Uski Zat Ka Saton Samundar Ho Gaya is written by Iqbal Sajid. Complete Poem KHushk Uski Zat Ka Saton Samundar Ho Gaya in Hindi by Iqbal Sajid. Download free KHushk Uski Zat Ka Saton Samundar Ho Gaya Poem for Youth in PDF. KHushk Uski Zat Ka Saton Samundar Ho Gaya is a Poem on Inspiration for young students. Share KHushk Uski Zat Ka Saton Samundar Ho Gaya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.