जिस का चेहरा गुलाब जैसा है

जिस का चेहरा गुलाब जैसा है

उस का मिलना तो ख़्वाब जैसा है

बात करता हूँ इस लिए उन की

बात करना सवाब जैसा है

मेरा जीना तिरी जुदाई में

इक मुसलसल अज़ाब जैसा है

नश्शा उस की नशीली आँखों का

सब से अच्छी शराब जैसा है

हाल उस का भी आज-कल यारो

दिल-ए-ख़ाना-ख़राब जैसा है

ऐ 'पयाम' इन की चाहतों का पयाम

चाहतों की किताब जैसा है

(1415) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jis Ka Chehra Gulab Jaisa Hai In Hindi By Famous Poet Iqbal Payam. Jis Ka Chehra Gulab Jaisa Hai is written by Iqbal Payam. Complete Poem Jis Ka Chehra Gulab Jaisa Hai in Hindi by Iqbal Payam. Download free Jis Ka Chehra Gulab Jaisa Hai Poem for Youth in PDF. Jis Ka Chehra Gulab Jaisa Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Jis Ka Chehra Gulab Jaisa Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.