कितने ही लोग दिल तलक आ कर गुज़र गए
कितने ही लोग दिल तलक आ कर गुज़र गए
हम अपनी लाश आप उठा कर गुज़र गए
वो यूरिश अलम थी कि तेरी गली से हम
तुझ को भी अपने जी से भुला कर गुज़र गए
अहल-ए-ख़िरद फ़सानों के उनवाँ बने रहे
अहल-ए-जुनूँ फ़साने सुना कर गुज़र गए
इस एहतियात-ए-दर्द की वहशत कि हम कभी
ख़ुद को तिरी नज़र से छुपा कर गुज़र गए
तू ही मिला न हम ही मिले अपने आप को
साए से दरमियान में आ कर गुज़र गए
अब तो बताओ हम को कहाँ जाओगे 'मतीन'
वो कौन थे जो आग लगा कर गुज़र गए
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