Love Poetry of Iqbal Khusro Qadri
नाम | इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Iqbal Khusro Qadri |
चश्म-ए-ख़ाना मक़ाम-ए-दर्द का है
बंद आँखों में सारा तमाशा देख रहा था
बख़्शे न गए एक को बख़्शा न कभी
आँखों के चराग़ वारते हैं
नाम | इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Iqbal Khusro Qadri |
चश्म-ए-ख़ाना मक़ाम-ए-दर्द का है
बंद आँखों में सारा तमाशा देख रहा था
बख़्शे न गए एक को बख़्शा न कभी
आँखों के चराग़ वारते हैं