इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी
नाम | इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Iqbal Khusro Qadri |
सरहद-ए-जाँ तलक क़लम-रौ दिल
रोता है कोई किसी के ग़म में
मैं नहीं मिलता किसी से
जब साया भी शीशे की तरह टूट गया
बंद आँखों में सारा तमाशा देख रहा था
ख़्वाब बर्फ़ानी चिता है
चश्म-ए-ख़ाना मक़ाम-ए-दर्द का है
बंद आँखों में सारा तमाशा देख रहा था
बख़्शे न गए एक को बख़्शा न कभी
आँखों के चराग़ वारते हैं