Sad Poetry of Iqbal Kausar
नाम | इक़बाल कौसर |
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अंग्रेज़ी नाम | Iqbal Kausar |
ध्यान आया मुझे रात की तन्हा-सफ़री का
मुज़ाहिमतों के अहद-निगार
सुपुर्द-ए-ग़म-ज़दगान-ए-सफ़-ए-वफ़ा हुआ मैं
मैं दर पे तिरे दर-ब-दरी से निकल आया
करें हिजरत तो ख़ाक-ए-शहर भी जुज़-दान में रख लें
काहिश-ए-ग़म ने जिगर ख़ून किया अंदर से
जो ज़ख़्म जम्अ किए आँख-भर सुनाता हूँ
'इक़बाल' यूँही कब तक हम क़ैद-ए-अना काटें
अगरचे मुझ को बे-तौक़-ओ-रसन-बस्ता नहीं छोड़ा
अभी मिरा आफ़्ताब उफ़ुक़ की हुदूद से आश्ना नहीं है