Love Poetry of Iqbal Kausar
नाम | इक़बाल कौसर |
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अंग्रेज़ी नाम | Iqbal Kausar |
ज़ियान-ए-दिल ही इस बाज़ार में सूद-ए-मोहब्बत है
तिरी पहली दीद के साथ ही वो फ़ुसूँ भी था
रवाँ हूँ मैं
मुज़ाहिमतों के अहद-निगार
सुपुर्द-ए-ग़म-ज़दगान-ए-सफ़-ए-वफ़ा हुआ मैं
करें हिजरत तो ख़ाक-ए-शहर भी जुज़-दान में रख लें
काहिश-ए-ग़म ने जिगर ख़ून किया अंदर से
कभी आइने सा भी सोचना मुझे आ गया
जो ज़ख़्म जम्अ किए आँख-भर सुनाता हूँ
जिस तरह लोग ख़सारे में बहुत सोचते हैं
अभी मिरा आफ़्ताब उफ़ुक़ की हुदूद से आश्ना नहीं है