Sad Poetry of Iqbal Kaifi
नाम | इक़बाल कैफ़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Iqbal Kaifi |
यही नहीं कि निगाहों को अश्क-बार किया
मैं ऐसे हुस्न-ए-ज़न को ख़ुदा मानता नहीं
ग़ज़ल के रंग में मल्बूस हो कर
अफ़सोस माबदों में ख़ुदा बेचते हैं लोग
यही नहीं कि निगाहों को अश्क-बार किया
सुना है उस ने ख़िज़ाँ को बहार करना है
मौज-ए-बला में रोज़ कोई डूबता रहे
कैफ़-ए-हयात तेरे सिवा कुछ नहीं रहा
गुहर समझा था लेकिन संग निकला