Ghazals of Iqbal Kaifi
नाम | इक़बाल कैफ़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Iqbal Kaifi |
यही नहीं कि निगाहों को अश्क-बार किया
सुना है उस ने ख़िज़ाँ को बहार करना है
साइल के लबों पर है दुआ और तरह की
साहिल के तलबगार भी क्या ख़ूब रहे हैं
मोहब्बतों ने बड़ी हेर-फेर कर दी है
मौज-ए-बला में रोज़ कोई डूबता रहे
लब-ए-गुदाज़ पे अल्फ़ाज़-ए-सख़्त रहते हैं
कैफ़-ए-हयात तेरे सिवा कुछ नहीं रहा
गुहर समझा था लेकिन संग निकला
बे-कसी पर ज़ुल्म ला-महदूद है