Love Poetry of Iqbal Ashhar
नाम | इक़बाल अशहर |
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अंग्रेज़ी नाम | Iqbal Ashhar |
जन्म की तारीख | 1965 |
जन्म स्थान | Delhi |
ठहरी ठहरी सी तबीअत में रवानी आई
तेरी बातों को छुपाना नहीं आता मुझ से
सभी अपने नज़र आते हैं ब-ज़ाहिर लेकिन
प्यास दरिया की निगाहों से छुपा रक्खी है
ले गईं दूर बहुत दूर हवाएँ जिस को
किसी को खो के पा लिया किसी को पा के खो दिया
उर्दू
तुम्हारी ख़ुश्बू थी हम-सफ़र तो हमारा लहजा ही दूसरा था
ठहरी ठहरी सी तबीअत में रवानी आई
तमाशाई बने रहिए तमाशा देखते रहिए
सिलसिला ख़त्म हुआ जलने जलाने वाला
रास्ता भूल गया एक सितारा अपना
रात का पिछ्ला पहर कैसी निशानी दे गया
प्यास के बेदार होने का कोई रस्ता न था
प्यास दरिया की निगाहों से छुपा रक्खी है
कितने भूले हुए नग़्मात सुनाने आए
ख़ुदा ने लाज रखी मेरी बे-नवाई की
कभी कसक जुदाई की कभी महक विसाल की
दयार-ए-दिल में नया नया सा चराग़ कोई जला रहा है
भीगी भीगी पलकों पर ये जो इक सितारा है