सभी अपने नज़र आते हैं ब-ज़ाहिर लेकिन
रूठने वाला है कोई न मनाने वाला
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Gulzar
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1468) Peoples Rate This
कभी कसक जुदाई की कभी महक विसाल की
वो किसी को याद कर के मुस्कुराया था उधर
तमाशाई बने रहिए तमाशा देखते रहिए
सुनो समुंदर की शोख़ लहरो हवाएँ ठहरी हैं तुम भी ठहरो
ठहरी ठहरी सी तबीअत में रवानी आई
ले गईं दूर बहुत दूर हवाएँ जिस को
तुम्हारी ख़ुश्बू थी हम-सफ़र तो हमारा लहजा ही दूसरा था
उर्दू
रास्ता भूल गया एक सितारा अपना
सताया आज मुनासिब जगह पे बारिश ने