न जाने कितने चराग़ों को मिल गई शोहरत
इक आफ़्ताब के बे-वक़्त डूब जाने से
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Rahat Indori
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Gulzar
Javed Akhtar
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तेरे किरदार को इतना तो शरफ़ हासिल है
फिर तिरा ज़िक्र किया बाद-ए-सबा ने मुझ से
आरज़ू है सूरज को आइना दिखाने की
बदन में अव्वलीं एहसास है तकानों का
तुम्हारी ख़ुश्बू थी हम-सफ़र तो हमारा लहजा ही दूसरा था
ठहरी ठहरी सी तबीअत में रवानी आई
किसी को खो के पा लिया किसी को पा के खो दिया
प्यास दरिया की निगाहों से छुपा रक्खी है
ख़ुदा ने लाज रखी मेरी बे-नवाई की
रास्ता भूल गया एक सितारा अपना
आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा
सिलसिला ख़त्म हुआ जलने जलाने वाला