वो भी कुछ भूला हुआ था मैं कुछ भटका हुआ
वो भी कुछ भूला हुआ था मैं कुछ भटका हुआ
राख में चिंगारियाँ ढूँडी गईं ऐसा हुआ
दास्तानें ही सुनानी हैं तो फिर इतना तो हो
सुनने वाला शौक़ से ये कह उठे फिर क्या हुआ
उम्र का ढलना किसी के काम तो आया चलो
आइने की हैरतें कम हो गईं अच्छा हुआ
रात आई और फिर तारीख़ को दोहरा गई
यूँ हुआ इक ख़्वाब तो देखा मगर देखा हुआ
वो किसी को याद कर के मुस्कुराया था उधर
और मैं नादान ये समझा कि वो मेरा हुआ
(2021) Peoples Rate This