इक़बाल अशहर कुरेशी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का इक़बाल अशहर कुरेशी
नाम | इक़बाल अशहर कुरेशी |
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अंग्रेज़ी नाम | Iqbal Ashhar Qureshi |
ख़ुद को जब भूल से जाते हैं तो यूँ लगता है
जो लोग लौट के ख़ुद मेरे पास आए हैं
दरख़्त हाथ हिलाते थे रहनुमाई को
ये ख़ौफ़ कम है मुझे और चमको जब तक हो
सब तमन्नाओं से ख़्वाबों से निकल आए हैं
ख़्वाहिश हमारे ख़ून की लबरेज़ अब भी है
ख़िज़ाँ का क़र्ज़ तो इक इक दरख़्त पर है यहाँ
फ़रार पा न सका कोई रास्ता मुझ से