न पूछो दोस्तो मैं किस तरह हँसता हँसाता हूँ
न पूछो दोस्तो मैं किस तरह हँसता हँसाता हूँ
तवज्जोह याद रखता हूँ तग़ाफ़ुल भूल जाता हूँ
मुझे तो याद है मैं आज तक भूला नहीं तुझ को
बता भूले से तुझ को भी कभी मैं याद आता हूँ
अगर माज़ी भुला बैठे तो अपना हाल क्या होगा
कहानी रात भर अहल-ए-चमन को मैं सुनाता हूँ
ये क्या कम है कि मेरे दिल में पिन्हाँ दौलत-ए-ग़म है
मैं अक्सर अपनी पलकों को सितारों से सजाता हूँ
दिल-ए-वहशत-ज़दा का 'इंतिज़ार' अब तो ये आलम है
कि ख़ुद अपना नशेमन अपने हाथों से जलाता हूँ
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