दिल भी पत्थर सीना पत्थर आँख पे पट्टी रक्खी है
दिल भी पत्थर सीना पत्थर आँख पे पट्टी रक्खी है
किस ने ये पानी से बाहर रेत पे मछली रक्खी है
माना कि ता'मीर नहीं हो पाई इमारत रिंदों की
चाँद पे रखने वाले की बुनियाद अभी भी रक्खी है
ये भी अनोखी बात है यारो मतलब कैसे समझा जाए
इमली के खट्टे पानी पर शहद की मक्खी रक्खी है
काले बादल का रिश्ता तो सूरज से ना-मुम्किन है
काली लड़की के होंटों पर रात की रानी रक्खी है
कोशिश तो नाकाम रही है हिम्मत लेकिन रखता हूँ
ताक़ में दीपक कैसे जले अब घर में आँधी रक्खी है
क्या बोलेगा आज तराज़ू भेद अभी खुल जाएगा
इक पलड़े में सच रक्खा है एक में चाँदी रक्खी है
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