लोग न जाने कैसी कैसी बातें करते हैं
मेरे पास तो मेरा साया लेटा है चुप-चाप
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Wasi Shah
Habib Jalib
Anwar Masood
Rahat Indori
Gulzar
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(855) Peoples Rate This
दूर तक बस ख़ून के ठहरे हुए दरिया मिले
हर एक शख़्स के विज्दान से ख़िताब करे
अपने बदन को छोड़ के पछताओगे मियाँ
अंदेशों का ज़हर पिया है
शोर से बच कर सहमा सहमा बैठा है चुप-चाप