Islamic Poetry of Insha Allah Khan 'Insha'
नाम | इंशा अल्लाह ख़ान |
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अंग्रेज़ी नाम | Insha Allah Khan 'Insha' |
जन्म की तारीख | 1753 |
मौत की तिथि | 1817 |
जन्म स्थान | Lucknow |
जज़्बा-ए-इश्क़ सलामत है तो इंशा-अल्लाह
वो जो शख़्स अपने ही ताड़ में सो छुपा है दिल ही की आड़ में
वो देखा ख़्वाब क़ासिर जिस से है अपनी ज़बाँ और हम
उस बंदा की चाह देखिएगा
टुक क़ैस को छेड़-छाड़ कर इश्क़
टुक इक ऐ नसीम सँभाल ले कि बहार मस्त-ए-शराब है
टुक आँख मिलाते ही किया काम हमारा
तोडूँगा ख़ुम-ए-बादा-ए-अंगूर की गर्दन
तफ़ज़्जुलात नहीं लुत्फ़ की निगाह नहीं
सर चश्म सब्र दिल दीं तन माल जान आठों
पकड़ी किसी से जावे नसीम और सबा बंधे
नींद मस्तों को कहाँ और किधर का तकिया
न तो काम रखिए शिकार से न तो दिल लगाइए सैर से
मिल मुझ से ऐ परी तुझे क़ुरआन की क़सम
मल ख़ून-ए-जिगर मेरा हाथों से हिना समझे
लो फ़क़ीरों की दुआ हर तरह आबाद रहो
लब पे आई हुई ये जान फिरे
किनाया और ढब का इस मिरी मज्लिस में कम कीजे
जो हाथ अपने सब्ज़े का घोड़ा लगा
जी चाहता है शैख़ की पगड़ी उतारिए
गाहे गाहे जो इधर आप करम करते हैं
दीवार फाँदने में देखोगे काम मेरा
बस्ती तुझ बिन उजाड़ सी है
बंदगी हम ने तो जी से अपनी ठानी आप की
अश्क मिज़्गान-ए-तर की पूँजी है
अच्छा जो ख़फ़ा हम से हो तुम ऐ सनम अच्छा
आने अटक अटक के लगी साँस रात से