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Insha Allah Khan 'Insha' Khawab In Hindi - Best Khawab Of Insha Allah Khan 'Insha' Poetry Collection In Hindi - Darsaal

Khawab Poetry of Insha Allah Khan 'Insha'

Khawab Poetry of Insha Allah Khan 'Insha'
नामइंशा अल्लाह ख़ान
अंग्रेज़ी नामInsha Allah Khan 'Insha'
जन्म की तारीख1753
मौत की तिथि1817
जन्म स्थानLucknow

ज़ुल्फ़ को था ख़याल बोसे का

ये किस से चाँदनी में हम ब-ज़ेर-ए-आसमाँ लिपटे

ये जो मुझ से और जुनूँ से याँ बड़ी जंग होती है देर से

वो देखा ख़्वाब क़ासिर जिस से है अपनी ज़बाँ और हम

टुक इक ऐ नसीम सँभाल ले कि बहार मस्त-ए-शराब है

शब ख़्वाब में देखा था मजनूँ को कहीं अपने

मुझे क्यूँ न आवे साक़ी नज़र आफ़्ताब उल्टा

मिल गए पर हिजाब बाक़ी है

काश अब्र करे चादर-ए-महताब की चोरी

कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं

जब तक कि ख़ूब वाक़िफ़-ए-राज़-ए-निहाँ न हूँ

है तिरा गाल माल बोसे का

गली से तेरी जो टुक हो के आदमी निकले

दिल-ए-सितम-ज़दा बेताबियों ने लूट लिया

भले आदमी कहीं बाज़ आ अरे उस परी के सुहाग से

बात के साथ ही मौजूद है टाल एक न एक

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