सच

सच कहाँ है

तारीख़ के औराक़ में

तारीख़ से बड़ा धोका तो कुछ नहीं

तारीख़ तो अपने अपने

दलालों के मा-तहत रही

कोई झूट किस तरह सच में तब्दील हो जाता है

इस का जवाब देने के लिए सीता बाक़ी न रही

हर उस मोड़ पे बात अधूरी रह गई

जो अगर मुकम्मल हो जाती

तो अहल-ए-फ़साद का कारोबार कैसे चलता

तो क्या किसी चीज़ को हलाल करने के लिए

हराम की आमेज़िश दरकार है

कहीं ऐसा तो नहीं

रसूल के नाम लेवा

अबु-जेहल के रास्ते पर चल पड़े हों

कहीं ऐसा तो नहीं फ़लसफ़ा-ए-शहादत का दर्स

यज़ीद दे रहा हो

(1158) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Sach In Hindi By Famous Poet Injila Hamesh. Sach is written by Injila Hamesh. Complete Poem Sach in Hindi by Injila Hamesh. Download free Sach Poem for Youth in PDF. Sach is a Poem on Inspiration for young students. Share Sach with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.