Love Poetry of Indira Varma
नाम | इन्दिरा वर्मा |
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अंग्रेज़ी नाम | Indira Varma |
जन्म की तारीख | 1940 |
जन्म स्थान | Delhi |
ज़िंदगी आज तेरा लुत्फ़ ओ करम
ये शफ़क़ चाँद सितारे नहीं अच्छे लगते
ये कैसी वक़्त ने बदली है करवट
तुम्हारे बिना सब अधूरे हैं जानाँ
सिला दिया है मोहब्बत का तुम ने ये कैसा
रौशनी फूट निकली मिसरों से
किताब-ए-ज़ीस्त का उनवान बन गए हो तुम
बहारों के आँचल में ख़ुश-बू छुपी है
यूँ वफ़ा के सारे निभाओ ग़म कि फ़रेब में भी यक़ीन हो
ये शफ़क़ चाँद सितारे नहीं अच्छे लगते
ये मौसम सुरमई है और मैं हूँ
वो अजीब शख़्स था भीड़ में जो नज़र में ऐसे उतर गया
उस से मत कहना मिरी बे-सर-ओ-सामानी तक
तिरे ख़याल का चर्चा तिरे ख़याल की बात
तमाम फ़िक्र ज़माने की टाल देता है
शिकस्ता-दिल अँधेरी शब अकेला राहबर क्यूँ हो
शफ़क़ के रंग निकलने के बाद आई है
मुझे रंग दे न सुरूर दे मिरे दिल में ख़ुद को उतार दे
मोहब्बत में आया है तन्हा अभी रंग
कुछ बला और कुछ सितम ही सही
काश वो पहली मोहब्बत के ज़माने आते
कभी मुड़ के फिर इसी राह पर न तो आए तुम न तो आए हम
हज़ार ख़्वाब लिए जी रही हैं सब आँखें
दोस्त जब ज़ी-वक़ार होता है
दिल से अपने ख़ुद-ब-ख़ुद कुछ पूछिए मेरे लिए
दिल के बेचैन जज़ीरों में उतर जाएगा
अभी से कैसे कहूँ तुम को बेवफ़ा साहब
आज फिर चाँद उस ने माँगा है