Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7a7b2b5fe5d400ef7973c2e82ce8ee70, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
काश वो पहली मोहब्बत के ज़माने आते - इन्दिरा वर्मा कविता - Darsaal

काश वो पहली मोहब्बत के ज़माने आते

काश वो पहली मोहब्बत के ज़माने आते

चाँद से लोग मिरा चाँद सजाने आते

रक़्स करती हुई फिर बाद-ए-बहाराँ आती

फूल ले कर वो मुझे ख़ुद ही बुलाने आते

उन की तहरीर में अल्फ़ाज़ वही सब होते

यूँ भी होता कि कभी ख़त भी पुराने आते

उन के हाथों में कभी प्यार का परचम होता

मेरे रूठे हुए जज़्बात मनाने आते

बारिशों में वो धनक ऐसी निकलती अब के

जिस से मौसम में वही रंग सुहाने आते

वो बहारों का समाँ और वो गुल-पोश चमन

ऐसे माहौल में वो दिल ही दुखाने आते

हर तरफ़ देख रहे हैं मिरे हम-उम्र ख़याल

राह तकती हुई आँखों को सुलाने आते

(2035) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kash Wo Pahli Mohabbat Ke Zamane Aate In Hindi By Famous Poet Indira Varma. Kash Wo Pahli Mohabbat Ke Zamane Aate is written by Indira Varma. Complete Poem Kash Wo Pahli Mohabbat Ke Zamane Aate in Hindi by Indira Varma. Download free Kash Wo Pahli Mohabbat Ke Zamane Aate Poem for Youth in PDF. Kash Wo Pahli Mohabbat Ke Zamane Aate is a Poem on Inspiration for young students. Share Kash Wo Pahli Mohabbat Ke Zamane Aate with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.