Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_df696d4a40bfcae8384ac3e45ce2a86c, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दिल के बेचैन जज़ीरों में उतर जाएगा - इन्दिरा वर्मा कविता - Darsaal

दिल के बेचैन जज़ीरों में उतर जाएगा

दिल के बेचैन जज़ीरों में उतर जाएगा

दर्द आहों के मुक़द्दर का पता लाएगा

मेरे बिछड़े हुए लम्हात सजा कर रखना

वक़्त लफ़्ज़ों में ग़ज़ल बन के ठहर जाएगा

उस की हर बात जफ़ा-पेशा हुई है अक्सर

ज़ख़्म का ख़ौफ़ कभी उस को भी दहलाएगा

वक़्त ख़ामोश है टूटे हुए रिश्तों की तरह

वो भला कैसे मिरे दिल की ख़बर पाएगा

शाम-ए-ग़म आज भी गुज़री है हसीं ख़्वाबों में

ग़म-ए-जानाँ तो मोहब्बत में सितम ढाएगा

दिल मिरा आज जफ़ाओं पे बहुत नाज़ाँ है

मेरे होंटों पे तबस्सुम ही नज़र आएगा

उस के मिज़राब से जब राग बनेंगे दीपक

मेघ चुपके से मिरे दिल पे बरस जाएगा

(988) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dil Ke Bechain Jaziron Mein Utar Jaega In Hindi By Famous Poet Indira Varma. Dil Ke Bechain Jaziron Mein Utar Jaega is written by Indira Varma. Complete Poem Dil Ke Bechain Jaziron Mein Utar Jaega in Hindi by Indira Varma. Download free Dil Ke Bechain Jaziron Mein Utar Jaega Poem for Youth in PDF. Dil Ke Bechain Jaziron Mein Utar Jaega is a Poem on Inspiration for young students. Share Dil Ke Bechain Jaziron Mein Utar Jaega with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.