रहती है सब के पास तन्हाई

रहती है सब के पास तन्हाई

फिर भी है क्यूँ उदास तन्हाई

दिल नहीं लगता फिर कहीं उस का

आ गई जिस को रास तन्हाई

इश्क़ ने फेंका था पहन के उसे

पहने है जो लिबास-ए-तन्हाई

साथ सब का दिया है अब लेकिन

ख़ुद है कितनी उदास तन्हाई

ज़िंदगी-भर के साथी हैं मेरे

जाम साक़ी गिलास तन्हाई

कौन जाने हुआ है क्या 'इंद्र'

रहती है क्यूँ उदास तन्हाई

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