ताराज ख़्वाहिशों का मुदावा न हो सका
ताराज ख़्वाहिशों का मुदावा न हो सका
कोई हमारे वास्ते ईसा न हो सका
इतनी शदीद धूप थी मुझ पे कि उम्र-भर
अब्र-ओ-दरख़्त से कभी साया न हो सका
नींदों में छोड़ कर हमें आगे निकल गया
हम से उस एक ख़्वाब का पीछा न हो सका
गुज़रे फिर एक बार तो दोनों के दरमियाँ
वो वाक़िआ' जो तूर पे पूरा न हो सका
दहक़ान-ए-ग़म ने ख़ून से सींची ज़मीन-ए-दिल
लेकिन ये दश्त दश्त था सब्ज़ा न हो सका
(857) Peoples Rate This