Sad Poetry of Imran-ul-haq Chauhan
नाम | इमरान-उल-हक़ चौहान |
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अंग्रेज़ी नाम | Imran-ul-haq Chauhan |
वक़्त हर ज़ख़्म को भर देता है कुछ भी कीजे
अजीब ख़ौफ़ का मौसम है इन दिनों 'इमरान'
ये जो आबाद होने जा रहे हैं
पयाम ले के हवा दूर तक नहीं जाती
मौसम-ए-गुल है तिरे सुर्ख़ दहन की हद तक
हम न दुनिया के हैं न दीं के हैं
अपने लहू में ज़हर भी ख़ुद घोलता हूँ मैं
अपने हिस्से में ही आने थे ख़सारे सारे